प्रातः 4 बजे से 5 :30 तक का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है ,यह समय वेदाध्ययन ,योगाभ्यास और ध्यान आदि आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए विशेष माना जाता है। वेदों में कहा गया है कि ऐसे समय जगने बाले ब्यक्ति के पास शारीरिक और मानसिक रोग नहीं आते। ऐसा ब्यक्ति तेजयुक्त होता है।
आयुर्वेदे के अनुसार ,इस समय बहने वाली वायु चंद्रमा से प्राप्त अमृत बूंदो से युक्त होने होने के कारण स्वास्थ्य के लिए अमृततुल्य होती है। इसीलिए इसे (अमृत बेला) भी कहते है। इस वायु में 41 प्रतिशत ऑक्सीजन ,55 प्रतिशत नाइट्रोजन और 4 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड होती है।
सुर्योदय के साथ ही सारे वायुमंडल में परिबर्तन हो जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त। |
आयुर्वेदे के अनुसार ,इस समय बहने वाली वायु चंद्रमा से प्राप्त अमृत बूंदो से युक्त होने होने के कारण स्वास्थ्य के लिए अमृततुल्य होती है। इसीलिए इसे (अमृत बेला) भी कहते है। इस वायु में 41 प्रतिशत ऑक्सीजन ,55 प्रतिशत नाइट्रोजन और 4 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड होती है।
सुर्योदय के साथ ही सारे वायुमंडल में परिबर्तन हो जाता है।
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